जैसलमेर किले का इतिहास ( Jaisalmer Fort )
Jaisalmer Fort जैसलमेर किला – भारत मे धरोहरो की कमी नहीं है | जैसलमेर किले में दुनिया की सबसे बड़ी किलेबंदी की है। यह किला जैसलमेर में स्थित है, जैसलमेर, भारत के राजस्थान राज्य में आता है। यह एक वर्ल्ड हेरिटेज साईट है। इस किले का निर्माण 1156 AD में राजपूत शासक रावल जैसल के दावरा कराया गया था, इसीलिये किले का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा गया था।
शानदार जैसलमेर किले का इतिहास – Jaisalmer Fort
जैसलमेर किला jaisalmer fort थार मरुस्थल के त्रिकुटा
पर्वत पर खड़ा है और इस किले को जीतने के लिए यहाँ काफी इतिहासिक लड़ाईयां भी हुई
है। किले में भारी पीले रंग के बलुआ पत्थरो की दीवारे बनी है। सूरज की रौशनी दिन
के समय में इस किले की दीवारे हल्के सुनहरे रंग की दिखती है। इसलिए
जैसलमर किले को
सोनार किला या गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह किला शहर के बीचो बिच
बना हुआ है और जैसलमेर की इतिहासिक धरोहर के रूप में लोग उस किले को देखने आते है।
2013 में कोलंबिया, फ्नोम पेन्ह में हुई 37 वी वर्ल्ड हेरिटेज समिति में राजस्थान के 5 दुसरे किलो के साथ जैसलमेर किले को भी
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल किया गया।
जैसलमेर किले का इतिहास –
Jaisalmer Fort History
जैसलमेर किला का निर्माण 1156 CE में रावल जैसल ने बनवाया था। राजपूत शासक रावल जैसल गौर के सुल्तान द्वारा बनाये गए षड्यंत्र में फस गया ताकि वह उसके प्रदेश को अपने भतीजे भोजदेव से बचा सके। जैसलमेर किले की एक और महत्वपूर्ण घटना 1276 में घटी जब दिल्ली के सुल्तान से परेशान होकर जेत्सी के राजा ने उसपर आक्रमण किया।
56 दुर्ग की चढ़ाई 3700 सैनिको ने की थी। सुल्तान
की आर्मी आक्रमण के 8 सालो
बाद ने महल का विनाश कर दिया। उस समय भाटियो ने जैसलमेर किले को नियंत्रित किया
लेकिन उनके पास ताकत का कोई साधन नही था। 1306 में दोदू द्वारा अपने बल का प्रयोग कर राठौर को बाहर निकालने की
बहादुरी के लिये उन्हें ही किले का रावल चुना गया।
और तभी से उन्होंने
किले का निर्माण करना शुरू किया। लेकिन रावल मुगल साम्राज्य के बार बार
होने वाले हमलो को सहन नही
कर सका और परिणामस्वरूप 1570 में वह अकबर की शरण में चला गया और रावल ने अपनी बेटी का विवाह भी उससे करा दिया।
मध्यकाल में
पर्शिया, अरबिया, इजिप्त और अफ्रीका से व्यापार करते हुए इस
शहर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। किले में दीवारों की 3 परते है। किले की बाहरी दीवार और निचली दीवार की परत ठोस पत्थरो से
बनी हुई है लेकिन दूसरी और किले के बीच वाली दीवार की परत साँप के आकार में बनी हुई है। एक बार
राजपुतो ने दीवारों के बीच से अपने दुश्मनों के उपर तेल और उबला हुआ पानी फेका था
और दूसरी और तीसरी दीवार के बिच उन्हें घेर लिया था। इस प्रकार किले को सुरशित करने के लिये कुल 99 द्वार बनाये गये थे जिनमे से 92 दुर्ग 1633 से 1647 के बीच बनाये गये थे।
अलाउद्दीन खिलजी 13 वी शताब्दी में जैसलमेर किले पर आक्रमण किया और उसे हासिल कर लिया
और 9 साल तक उसने किले को अपने नियंत्रण में ही रखा। किले की घेराबंदी के समय
राजपूत महिलाओ ने अपने आप को अलाउद्दीन खिलजी से बचाने के लिए जौहर में समर्पित किया। किले की दूसरी लड़ाई 1541 में हुई थी जब मुग़ल
शासक हुमायु ने जैसलमेर पर हमला किया था।
किले पर 1762 तक मुग़लों का ही
नियंत्रण था इसके बाद में किले को महारावल मूलराज महाराजा ने नियंत्रित किया। किला एकांत जगह पर
बसा होने के कारण किले ने मराठाओ के इंतकाम का बचाव किया।
पूर्व भारतीय कंपनी
और मूलराज के बीच 12 दिसम्बर 1818 को हुए समझौते के
कारण राजा को ही किले का उत्तराधिकारी माना गया और आक्रमण के समय उन्हें सुरक्षा
भी प्रदान की जाती थी। 1820 में मूलराज की मृत्यु के बाद उनके पोते गज
सिंह ने शासन को अपने हाथो में ले लिया।
ब्रिटिश नियमो के
आते ही बॉम्बे बंदरगाह पर समुद्री व्यापार की शुरुवात हुई, इससे बॉम्बे का तो विकास हुआ लेकिन जैसलमेर की आर्थिक स्थिति नाजुक होती गयी।
स्वतंत्रता और भारत के विभाजन के बाद प्राचीन व्यापार यंत्रणा पूरी तरह से बंद हो
चुकी थी। लेकिन फिर 1965 और 1971 में भारत-पकिस्तान युद्ध के
समय जैसलमेर किले ने अपनी महानता को प्रमाणित किया था।
जैसलमेर किला इतना
विशाल है की वहा की पूरी जनता उस किले के अन्दर रह सकती है और आज भी वहा 4000 लोग रहते है जिनमे से बहोत से ब्राह्मण और दरोगा समुदाय के है। ये लोग भाटी
शासको की निगरानी में काम करते थे और तभी से वे उसी किले में रह रहे है। लेकिन फिर जैसे-जैसे जैसलमेर की
जनसंख्या बढती गयी वैसे-वैसे लोग त्रिकुटा पर्वत के निचे भी रहने
लगे थे।
जैसलमेर किले का आर्किटेक्चर – Jaisalmer Fort
यह किला 1500 फीट (460 मी.) लंबा और 750 फीट (230 मी.) चौड़ा है और 250 फीट (76 मी.) ऊँचे पर्वत पर बना हुआ है। किले का तहखाना 15 फीट लंबा है। किले के दुर्ग ने तक़रीबन 30 फीट की एक श्रुंखला बनायी है. शहर से किले के कुल चार प्रवेश द्वार है, जिनमे से एक द्वार पर तोपे भी लगी हुई है
·राज महल (रॉयल पैलेस)
·लक्ष्मीनाथ मंदिर
·4 विशाल प्रवेश द्वार
·व्यापारी हवेली.
राजस्थानी शहरो के
धनि व्यापारियों ने बड़ी-बड़ी हवेलियाँ भी बनवायी है। जिनमे से कुछ
हवेलियाँ तो एक दशक से भी ज्यादा पुरानी है। जैसलमेर शहर में पीले पत्थरो से बनी
ऐसी कई विशाल और सुन्दर हवेलियाँ है।
इसमें से कुछ
हवेलियों में बहोत सी मंजिले और अनगिनत कमरे भी है, साथ ही हवेलियों की
खिडकियों को भी राजेशाही अंदाज़ में सजाया गया है और बालकनी और दरवाजो पर भी विशेष
और मनमोहक कलाकृतिया की गयी है। इनमे से कुछ हवेलियाँ तो आज म्यूजियम बन चुकी है
लेकिन जैसलमेर की बहोत सी हवेलियों में तो आज भी परिवार रहते है। इनमे से एक हवेली
व्यास हवेली भी है जो 15 वी शताब्दी में बनी थी, लेकिन आज भी वहा उनके परिवार रहते है।
एक और हवेली की बात
करे तो श्री नाथ भवन का नाम आता है, जहा किसी समय में
जैसलमेर के प्रधान रहते थे। जैसलमेर की हवेलियों के कुछ दरवाजे हमें प्राचीन
लकडियो की कलाकृतियों की याद दिलाते है।
किले में एक शानदार
जलनिकास सिस्टम भी है जिसे घुट नाली नाम दिया गया जो बरसात के पानी को आसानी से
चारो दिशाओ में किले से दूर ले जाता है।
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