श्रीरंगपट्टनम किले के ऐतिहासिक इतिहास



Srirangapatna Fort – श्रीरंगपटना किला एक ऐतिहासिक किला है, जो दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य की ऐतिहासिक राजधानी श्रीरंगपटना में बना हुआ है। इसे 1454 में तिम्मंना नायक ने बनवाया था, टीपू सुल्तान के शासन के समय इस किले को सभी पहचानने लगे थे।




ऐतिहासिक श्रीरंगपटना किले का इतिहास – Srirangapatna Fort History

इस किले को को पूरी तरह से गढ़ के आकार में बनाया गया है और फ्रेंच वास्तुकला के आधार पर इसे सजाया गया है। किले के एक तरफ से कावेरी नदी भी बहती है। कावेरी नदी ने ही किले को पश्चिमी और उत्तरी दिशा से संरक्षित कर रखा है।1799 में जब ब्रिटिशो ने इस किले पर अपना अधिकार जमाया, तब इस किले में लाल महल और टीपू सुल्तान का महल भी था। इस किले में 7 दुकाने और 2 कालकोठरी है।



इतिहास – History:


कर्नाटक का खूबसूरत शहर  श्रीरंगपट्नम प्राचीनता एवं आधुनिकता के अद्भुत मिश्रण का नमूना है। श्रीरंगपट्ट्नम द्वीप, बेंगलुरू से 140 किलोमीटर की दूरी पर एवं मैसूर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इतिहास की भिन्न घटनाएँ इस शहर की प्राचीनता में समाई हुई हैं। मैसूर के राजा टीपू सुल्तान का साम्राज्य यहाँ तक फैला था। यहाँ पर होसलसा राजा से लेकर अँग्रेज शासनकाल की इमारतें स्थित हैं। सभी धर्मों के स्मारक यहाँ के लोगों की धर्मनिपेक्षता, प्रेम एवं शांति की भावना को दर्शाते हैं। 





देश-विदेश से हजारों पर्यटक, भव्य स्थलों को निहारने यहाँ आते हैं। माना जाता है कि यहाँ के पवित्र स्थलों के दर्शन करने से भक्तजनों की मनोकामना पूरी होती है। आने वाले पर्यटक स्थानीय निवासियों से लोक कथाएँ सुनकर रोमांचित हो उठते हैं। यहाँ के निवासियों के अनुसार बोडेयर की लोककथा बहुत ही प्रसिद्ध है। 



मान्यता है कि विजयनगर के वायसराय युद्ध में हार गए थे। उनकी पत्नी अलामेलम्मा ने क्रोधित होकर वोयोडरों को श्राप दिया कि उनके राजवंश में गद्दी पर विराजित होने वाले राजा का कोई वंश नहीं होगा। कहा जाता है कि सन् 1614 से वर्तमान तक राजा का राजवंश नहीं हुआ। इसलिए राजसिहांसन राजा के भाई एवं दत्तक
पुत्र चलाया करते थे। 




रंगपट्टनम में प्रवेश करते ही वहाँ का मुख्य आकर्षण दोहरी दीवार वाला किला नजर आता है। भारत में यह सबसे मजबूत किला माना जाता है। इस किले का स्थान सबसे प्रमुख है। बाहर से अंदर की ओर प्रवेश करने के लिए जो पुल बाँधा गया है, वह आज भी प्रयोग में है। कहा जाता है कि यहाँ किले, मंदिर, महल एवं कई ऐतिहासिक स्मारक स्थित हैं। टीपू सुल्तान का निवास लाल महल किले में था, परंतु आज इस महल के कुछ अंश ही बचे हैं। 



किले के चार प्रवेश द्वार हैं- बेंगलुरु, मैसूर, दिल्ली और वाटर वे ऐलिफेंट गेट। कैदियों को किले के कैदखाने में रखा जाता था। संध्या के समय श्रीरंगपट्टनम बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। डूबते सूरज की लालिमा में नदी की सुंदरता निखर उठती है मानो किसी ने लाल कुमकुम छिड़क दिया हो। सूरज की लालिमा दूर-दूर तक नजर आती है।



श्रीरंगपट्टनम में रंगनाथ स्वामी का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण नौवीं सदी में हुआ था। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय का केंद्र माना जाता है। इसकी विशेषता है कि यह कावेरी नदी के तीन द्वीपों पर स्थित है। श्रीरंगपट्टनम में आदि रंगा का मंदिर है। इतिहास से ओत-प्रोत श्रीरंगपट्टनम पर्यटकों के लिए बहुत ही आकर्षक स्थल है। 




कैसे पहुँचें 


हवाई अड्डा 
श्रीरंगपट्टनम के सबसे निकट बेंगलुरू हवाई अड्डा 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


रेलमार्ग 
बेंगलुरू से श्रीरंगपट्टनम के लिए अनेक ट्रेनें चलती हैं। अन्य प्रमुख शहरों से बेंगलुरू पहुँच सकते हैं।


राजमार्ग 

बेंगलुरू से लेकर मैसूर राजमार्ग से श्रीरंगपट्टनम आसानी से पहुँचा जा सकता है।

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