जौनपुर किला का इतिहास और वर्तमान




जौनपुर शहर में गोमती तट पर स्थित इस दुर्ग का र्निमाण फिरोज शाह ने 1362 में कराया था।इस दुर्ग के भीतरी फाटक 26.5 फीट उंचा तथा 16फीट चौड़ा है।


केन्द्रीय फाटक 36 फीट उंचा है। इसके उपर एक विशाल गुम्बद बना है। वर्तमान में इसका पूर्वी द्वार तथा अन्दर की तरफ मेहराबे आदि ही बची है, जो इसकी भव्यता की गाथा कहती है। इसके सामने के शानदार फाटक को मुनीम खां ने सुरक्षा की दृष्टि से बनवाया था तथा इसे नीले एवं पीले पत्थरों से सजाया गया था। अन्दर तुर्की शैली का हमाम एवं एक मस्जिद भी है। इस दुर्ग से गोमती नदी एवं नगर का मनोहर दृश्य दिखायीदेता है। इब्राहिम बरबक द्वारा बनवाई गई मस्जिद की बनावट में हिन्दु एवं बौद्ध शिल्प कला की छाप है.मध्य काल के दौरान जौनपुर, उत्तर प्रदेश मेंनिर्मित किला अपनें आप में विषेश था, इसके रमणीय स्वरूप की विश्च भर सरहना हुई और आगे हुये निर्माणों के लिये यह आर्दश स्वरूप बन गया. जौनपुर के पर्यटकों का मुख्य केन्द्र है..आभी हाल ही में यहाँ भोजपुरी फिल्म 'होगी प्यार की जीत' के दो गानों की शूटिंग हुई है|


जौनपुर के शाही किले मे मिला गुप्त तहखाना

विकास पाठक, वाराणसी : जौनपुर के शाही किले की मरम्मत के दौरान गुप्त तहखाने का पता चला है। तहखाने में शाही खजाना होने की बात को पुरातत्व विभाग ने खारिज कर दिया है। तहखाने को खोल देने की योजना बनाई जा रही है।



पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शाही किला जौनपुर के शहर के बीच में है। किले की मरम्मत का काम यूं तो सालभर चलता रहता है, लेकिन इन दिनों इसके विशाल मुख्य द्वार की मरम्मत विशेष रूप से की जा रही है। मुख्य द्वार के मोटे खंभों के नीचे जब खोदाई की जा रही थी, तभी वहां पर एक तहखाना दिखा। तहखाने का पता चलने की खबर शहर में फैली, तो लोग मानने लगे कि उसमें पुराना शाही खजाना रखा होगा। किले के प्रभारी पुरातत्व विभाग के सुपरवाइजर अविनाश चंद्र त्रिपाठी की निगरानी में तहखाने के अंदर की स्थिति का पता लगाने के लिए मजदूरों को उतारा गया। भीतर कुछ भी न होने की जानकारी मिलने के बाद पुरातत्व विभाग के लोगों ने भी इसकी जांच की। सुपरवाइजर का कहना है कि तहखाने में खजाना तो क्या कुछ भी नहीं मिला है और वो पूरी तरह खाली है।


अच्छी-खासी जगह : सुपरवाइजर अविनाश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि गुप्त तहखाना करीब 9 फीट चौड़ा व 13 फीट लम्बा व 10 फीट ऊंचा है। इसमे उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। मोटी दीवारों वाले तहखाने में दरवाजा लगाने की जगह बनी है, लेकिन दरवाजा लगा नहीं है। हो सकता है कि कभी खजाना सुरक्षित रखने के लिए इसका उपयोग किया जाता रहा है।


14वीं शताब्दी का किला : शाही किला 14वीं शताब्दी का है। मुगल बादशाह फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर को बसाने के समय किले को बनवाया था। देखभाल पुरातत्व विभाग के जिम्मे है। किला वर्तमान में सड़क लेबल से एक मंजिल नीचे है।

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