Kangra Fort Dharamsala, कांगड़ा किला धर्मशाला




कांगड़ा किला भारत के कांगड़ा शहर के बाहरी इलाके के धर्मशाला शहर से 20 kilometer की दुरी पर स्थित है।




इतिहास

कांगड़ा राज्य के राजपूत परिवार ने कांगड़ा किले का निर्माण करवाया था | (कटोच वंश), जिन्होंने खुद को प्राचीन त्रिगार्ता साम्राज्य, जिसका उल्लेख महाभारत पुराण में किया गया है के वंशज होने का प्रमाण दिया था । ये भारत में पाये जाने किलो में सबसे पुराना किला और हिमालय में मौजूद किलो में सबसे विशाल किला है।


मुग़ल सम्राट अकबर ने इस किले पर सं 1615 में, घेराबंदी की थी परन्तु वो इसमें असफल रहा। इसके पश्चात अकबर के पुत्र जहांगीर ने सं 1620 में, चंबा के राजा (जो इस क्षेत्र के सभी राजाओ में सबसे बड़े थे) को मजबूर करके इस किले पर कब्ज़ा कर लिया। मुग़ल सम्राट जहांगीर ने सूरज मल की सहायता से अपने सैनिकों को इस किले प्रवेश करवाया था।



कटोच के राजपूत राजाओ ने मुग़ल शासन के कमजोर नियंत्रण और मुग़ल शक्ति की गिरावट के कारण लगातार मुग़ल नियंत्रित क्षेत्रों को लुटा। सं 1789 में राजा संसार चंद II ने अपने पूर्वाजो के प्राचीन किले को बचा लिया। महाराजा संसार चंद ने गोरखाओं के साथ कई युद्ध किये थे जिनमे एक ओर गोरखा और दूसरी ओर सिख राजा महाराजा रंजीत सिंह होते थे। संसार चंद इस किले का प्रयोग अपने पडोसी राज्य के राजाओ को कैद करने के लिए किया था जो उनके खिलाफ हुए षड्यंत्र का कारण बन गया। सिखों और कटोचो के बीच हुए एक युद्ध के दौरान, किले के द्वार को आपूर्ति के लिए खुल रखा गया था। गोरखा सेना ने सं 1806 में इस खुले द्वार से किले में प्रवेश कर लिया। ये सेना महाराजा संसार चंद और महाराजा रंजीत सिंह के बीच एक गठबंधन का कारण बनी। इसके बाद गोरखा सेना सं 1809 में पराजित हो गयी और अपनी रक्षा करने के लिए युद्ध से पीछे हट गयी और सतलुज नदी के पार चली गयी। इसके पश्चात सं 1828 तक ये किला कटोचो के अधीन ही रहा क्योकि संसार चंद की मृत्यु होने के बाद रंजीत सिंह ने इस किले पर कब्ज़ा कर लिया था। आखिर में सं 1846 में सिखों के साथ हुए युद्ध में इस किले पर ब्रिटिशो ने अपना शासन जमा लिया।


ब्रिटिश की चौकी ने इस किले पर कब्ज़ा कर लिया परन्तु 4 अप्रैल 1905 में आये एक भीषण भूकम्प आया जिसमे उन्होंने इस किले को छोड़ दिया।

संरचना :



इस किले में प्रवेश करने के लिए एक छोटा सा आँगन है जो दो द्वारों के बीच में है। किले के प्रवेश पर की गयी शिलालेख के मुताबिक सिख शासनकाल के दौरान इन दो द्वारों का निर्माण करवाया गया था। किले के ऊपरी चोटी तक पहुंचने के लिए एक बहुत लम्बा और संकीर्ण मार्ग है,  जो अमीरी और अहानि दरवाज़े से होकर गुजरता है। इन दोनों ही द्वारों का निर्माण कांगड़ा के पहले मुग़ल गवर्नर, नवाब सैफ अली खान ने करवाया था। जहांगीरी दरवाज़ा बाहरी द्वार से 500 feet की दुरी पर स्टीथ है।


वर्तमान में दर्शनी दरवाज़े के आस पास और देवी यमुना और देवी गंगा की मुर्तिया है। इस द्वार के द्वारा आँगन में पंहुचा जाता है जिसके दक्षिणी ओर लक्ष्मी नारायण सिताला और अम्बिका देवी के मंदिर है। इन दोनों मंदिरों के मध्य एक छोटा से मार्ग है जो महल की ओर जाता है। ये किला भारत के सबसे खूबसूरत किलो में से एक है।

स्थान :

कांगड़ा किला कांगड़ा शहर के ठीक दयनी ओर स्थित है। कहा जाता है कांगड़ा उनमे से एक है जिन्होंने इस किले पर शासन किया था।


पुराने कांगड़ा के निकट पहाड़ी के शिखर पर जयंती माँ का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण गोरखा सेना के सेनपाति, बड़ा काजी अमर सिंग थापा ने करवाया था। इसके निकट ही एक छोटा से संग्रहालय है जो कांगड़ा किले के इतिहास को बयान करता है। कांगड़ा किले के पास महाराजा संसार चंद कटोच संग्रहालय है जिसका प्रबंधन कांगड़ा का शाही परिवार करता है। इस संग्रहालय में किले और संग्रहालय के लिए कई गाइड है और साथ ही एक कैफेटेरिया भी है।


Comments

Popular posts from this blog

भारत के सबसे रहस्यमयी और डरावने भानगढ़ किले का इतिहास | Bhangarh Fort History In Hindi

राजमाची किला का इतिहास | Rajmachi Fort

किशनगढ़ किला का इतिहास, राजस्थान